दिनांक 30/ 12/21 को महाविद्यालय के बैठक कक्ष में महिला उत्पीड़न एवं जेंडर सेंसटाइजेशन सेल के तत्वाधान में छात्राओं की काउंसलिंग की गई, जिसमें 132 छात्राएं उपस्थित हुई, साथ ही महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक सदस्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य महोदय के उद्बोधन के साथ हुआ जिसमें प्राचार्य महोदय ने छात्राओं के साहस पराक्रम के बारे में प्रकाश डाला एवं प्राचार्य महोदय ने कार्यक्रम को शुरू करने की अनुमति दी। महाविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर प्रतिभा कश्यप (समाजशास्त्र विभाग) एवं अतिथि व्याख्याता डॉ शिवानी गुप्ता (प्राणी शास्त्र विभाग) ने छात्राओं के साथ लंबी बातचीत की। सामान्य प्राथमिक चर्चा के उपरांत सभी पुरुष सदस्यों को बाहर भेजकर प्रोफेसर प्रतिभा कश्यप एवं डॉ शिवानी गुप्ता ने छात्राओं से प्रश्न आमंत्रित किए व बखूबी अपने -अपने जीवन के अनुभवों को छात्राओं के साथ साझा करते हुए छात्राओं के प्रश्नों के उत्तर दिए । छात्राओं को घर से लेकर बाहर तक जिन -जिन भी परेशानियों को झेलना पड़ता है ,संघर्ष करना पड़ता है और कैसे उत्पीड़ित होती रहती है इन सभी बातों को लेकर छात्राओं ने खुलकर स्पीकर से अपनी बात रखी। कई प्रश्न बहुत विचारणीय रहे जैसे घर से निकलकर कॉलेज आते वक्त सुने जगहों पर असामाजिक लड़कों का जमावड़ा रहता है जो छात्राओं को देखकर आपस में छात्राओं को सुना कर भद्दी भद्दी बातें करते हैं, इनका सामना कैसे किया जाएगा? जिसके संदर्भ में प्रोफेसर प्रतिभा कश्यप एवं डॉ शिवानी गुप्ता ने उन्हें बताया कि अभी हाल ही में ह सूरजपुर जिला पुलिस अधिक्षिका द्वारा रक्षक टीम बनाई गई है जो पेट्रोलिंग करती है एवं उन्हीं के द्वारा एक नंबर दिया गया है जिसमें महिला पुलिस को बुलाकर इस समस्या से छात्राएं निजात पा सकती हैं तथा यह भी बताया गया कि हमें अपनी हिम्मत भी बरकरार रखनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से औरों को भी बचाया जा सके। प्रोफेसर प्रतिभा ने गुड टच एवं बैड टच के बारे में एवं उनसे निपटने के तरीके भी बताएं। इन्हीं सवालों के जवाब डॉ शिवानी गुप्ता ने छात्राओं का मार्गदर्शन किया एवं किसी भी विषम परिस्थिति से बचाव के तरीकों को बताया साथ ही उन्होंने छात्राओं के स्वास्थ्य, हाइजीन, पीरियड एवं साइबर क्राइम से संबंधित प्रश्न के उत्तर छात्राओं को दवाइयों के नाम के साथ बताया ताकि उन दिनों छात्राएं उस परेशानी से बच सके एवं दैनिक क्रियाकलाप में बाधा ना आए। दोनों स्पीकर ने छात्राओं को यह भी बताया कि कम उम्र में छात्राएं मोबाइल एवं गलत विचार एवं दिशा के प्रभाव से स्वयं को बचा सकते हैं। दोनों स्पीकर ने छात्राओं को आश्वस्त किया कि किसी भी तरह की परेशानी होने पर वह उनसे अपनी समस्या बता कर निसंकोच निर्देशन प्रदान कर सकती हैं एवं अपने को तनाव से बचा सकती है। साथ ही अपने विवेक एवं हिम्मत से उत्पीड़न से बच सकती हैं। अंत में छात्राओं से शिकायत संबंधी वार्तालाप की गई जिसमें कुल चार एक ही तरह के शिकायत दर्ज की गई जिस पर महाविद्यालय के प्राचार्य महोदय से विचार कर सभी शिकायतों का निवारण किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ चंदन कुमार, डॉ वी . के झा, श्री चंद्र भूषण मिश्र, श्री आनंद कुमार पैकरा, श्रीमती सुप्रिया तिवारी एवं सुश्री किरण राजवाड़े का योगदान रहा।